बुधवार, 27 जनवरी 2010

परियों की शहजादी

होता ऐसा भी शायद
परियों की शहजादी आती राहों में
ज़न्नत की वो हुस्न परी
पायल छनकाती कानों में

गलियों का हूँ मैं आवारा
वो परियों की रानी है
ढूंढ रहा हूँ कब से तुझको
आधी एक कहानी है

तनहा सी तुम इन आँखों में
परछाई बनकर आती हो
जब भी कोई आहट होती
तुम धड़कन बन जाती हो

जाने ऐसा कब होगा
जब छनकेगी पायल कानों में
तेरी आँखों का वो जादू
बस होगा *मधुकर* की यादों में