
मैं सपनों का सौदागर
इन्हें बेंचनें आया हूँ ,
इनका कोई मोल नहीं
तुझे सौंपनें आया हूँ
मेरे सपने बुने हुए हैं
तुझसे सारे जुड़े हुए हैं,
देख ज़रा तू आकर, इनको
तेरी यादों से बंधे हुए हैं
इनको मनमाला में पिरोकर
प्यार के धागे से बांधा है,
सांसों की डोर को थामे रखना
तू ही तो भोर का तारा है
सदियों से मैं चलता आया
तेरी ही उम्मीद लिए,
इन सपनों को सच कर दे तू
*मधुकर* बैठा है आस लिए .....
................................
सागरों के बीच में,
जवाब देंहटाएंउठ रही हैं ख्वाहिशें!
बैठकर साहिल पर यूँ .
रो रहीं हैं बंदिशें...
madhukar ji likhne mein kashish hai aapke
isko banaye rakhe..
मेरे सपने बुने हुए हैं
जवाब देंहटाएंतुझसे सारे जुड़े हुए हैं,
देख ज़रा तू आकर, इनको
तेरी यादों से बंधे हुए हैं
madhur jaan !
blogger-parivaar mei tumhara swaagat hai
kavita bahut achhee bn padee hai
khaas kar
सदियों से मैं चलता आया
तेरी ही उम्मीद लिए,
ye alfaaz sirf ek hi mn ki nahi
balki poori qaaynaat ki baat karte haiN
dheroN duaaeiN
Behterin Abhivyakti badhai
जवाब देंहटाएंसदियों से मैं चलता आया
जवाब देंहटाएंतेरी ही उम्मीद लिए,sadio se sapne dekhe ja rahe hai.umeed hoti hai ki sach honge..badhiya abhiviakti bdhayee
cmnt moderation htao dijiye plz
जवाब देंहटाएं.... सुन्दर रचना, प्रभावशाली!!!!
जवाब देंहटाएंसदियों से मैं चलता आया
जवाब देंहटाएंतेरी ही उम्मीद लिए,
इन सपनों को सच कर दे तू
*मधुकर* बैठा है आस लिए .....
Bahut sundar!
अच्छी कविता । पर छंद में शब्दों का ख्याल रखें ।
जवाब देंहटाएंजैसे आपकी
मन की माला में पिरोकर इनको
धागेमें प्यार के बांधा है की जगह
इनको मनमाला में पिरोकर
प्यार के धागे से बांधा है होता तो छंद में सहज ही ा जाती आप सुंदर लिकते हैं इसका ख्याल रकेंगे तो रचना और सुंदर हो जायेगी
मुझे बहुत अच्छा लगता है जब कोई मेरी कमियों को बताता है चूँकि मैंने फिलहाल में ही कवितायेँ लिखना शुरू किया है
जवाब देंहटाएंतो मैं चाहूँगा की आप सभी लोग मेरी कमियों को बताएं जिस से मैं एक अच्छा लेखक बन सकूँ....
आप सभी का मेरे ब्लॉग में तहे दिल से स्वागत है...
धन्यबाद .....
धन्यवाद
जवाब देंहटाएं