
तितली है वो इठलाती
फूल फूल पर मंडराती
इक पल को सामने आती वो
पल भर में ओझल हो जाती
रंगों की दुनिया को लेकर
रंगों की खोज में घूम रही
लेकर मन में चंचल सपने
फूल फूल पर मंडराती
इक पल को सामने आती वो
पल भर में ओझल हो जाती
रंगों की दुनिया को लेकर
रंगों की खोज में घूम रही
लेकर मन में चंचल सपने
अपनी ही धुन में झूम रही
पंखों को फैलाकर अपने
अम्बर को छूने निकली है
आकाश अनंत ये उसका है,
माना नन्ही वो तितली है.
रंग नहीं ये सपना है,
जो मुझको वो दिखलाती है,
उसको पाने की चाहत में,
चाहत मेरी उड़ जाती है.
कहने को कह दें हम लेकिन,
जो कहा अभी मुश्किल होगी,
जो बात गयी वो बात गयी,
वो बात कहाँ अब फिर होगी.
देख के उसकी कोमल काया
मेरा मन भी भर आता है
वो आये अगर तो अच्छा हो
*मधुकर* खुशुबू बिखराता है
पंखों को फैलाकर अपने
अम्बर को छूने निकली है
आकाश अनंत ये उसका है,
माना नन्ही वो तितली है.
रंग नहीं ये सपना है,
जो मुझको वो दिखलाती है,
उसको पाने की चाहत में,
चाहत मेरी उड़ जाती है.
कहने को कह दें हम लेकिन,
जो कहा अभी मुश्किल होगी,
जो बात गयी वो बात गयी,
वो बात कहाँ अब फिर होगी.
देख के उसकी कोमल काया
मेरा मन भी भर आता है
वो आये अगर तो अच्छा हो
*मधुकर* खुशुबू बिखराता है
खूबसूरत...ऐसा लिखने वाले मिलते कहाँ है...और ऐसा सोचने वाले तो विरले ही होते हैं...
जवाब देंहटाएंबधाई और धन्यवाद...
आकाश अनंत ये उसका है,
जवाब देंहटाएंमाना नन्ही वो तितली है.
khwahishe to dekhiye....
सुंदर भाव.
जवाब देंहटाएंशुभ होली
खुशबू बिखराये वक्त हो गया मधुकर भाई..
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