होता ऐसा भी शायद
परियों की शहजादी आती राहों में
ज़न्नत की वो हुस्न परी
पायल छनकाती कानों में
गलियों का हूँ मैं आवारा
वो परियों की रानी है
ढूंढ रहा हूँ कब से तुझको
आधी एक कहानी है
तनहा सी तुम इन आँखों में
परछाई बनकर आती हो
जब भी कोई आहट होती
तुम धड़कन बन जाती हो
जाने ऐसा कब होगा
जब छनकेगी पायल कानों में
तेरी आँखों का वो जादू
बस होगा *मधुकर* की यादों में
behterin abhivyakti.
जवाब देंहटाएंBadhai !!
badhiya abhiviyakti.badhai
जवाब देंहटाएंbahut sunder kavita hai.....its superb...
जवाब देंहटाएंइस सुन्दर कविता के लिये आपका धन्यवाद
जवाब देंहटाएंप्रणाम स्वीकार करें
सुंदर कविता । पर पहले पद में दूसरी लाइन में अक्षर ज्यादा हो गये हैं । यदि परियों की हटा कर केवल शहजादी ही लिखें तो ठीक हो जायेगा ।
जवाब देंहटाएंSundar rachna! Blogjagat me tahe dilse swagat hai!
जवाब देंहटाएंतनहा सी तुम इन आँखों में
जवाब देंहटाएंपरछाई बनकर आती हो
जब भी कोई आहट होती
तुम धड़कन बन जाती हो
Badee sundar kalpana hai!
हिंदी ब्लाग लेखन के लिये स्वागत और बधाई । अन्य ब्लागों को भी पढ़ें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देने का कष्ट करें
जवाब देंहटाएंsabhi logo ne aapki kafi tarif ki hai......
जवाब देंहटाएंati sundar!
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