बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

कृष्ण प्रेम


पनघट पै बैठी पनिहारन ...
पनिया कौ भरन गयीं गागर मै
छैल छबीलो किशन कन्हैया
ढूंढ रहो तोहे बागन मै...

गोपियन संग तुने रास रचायो
सबही तौ तेरे प्रेम दिवाने हैं..
बंसुरिया की धुन पै सबको...
अपने रंग नाच नचायो है

ओ मैया के नटखट नंदलाला...
कैसो ये रास रचायो है
हर कोई तेरी धुन मै नाचै
ये कैसो प्रेम रंग बरसायो है...

हमहू तौ तेरे प्रेम दिवाने
तेरे रूप रंग पै बारे हैं
अपनों जीवन सब तुझकौ दियो...
अब तौ लागै सब कुछ बेगानों है...

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